ये आजादी झूठी है
उपेन्द्रनाथ ब्रह्मचारी
ये आजादी झूठी है,
इस देश का बंटवारा किया हे,
पूर्ण स्वराज को ठुकराया है,
ये आजादी झूठी है।
आजादी कि ढोंग रचा,
हुया था एक समझौता,
देशहित का बलि चढ़ाया,
अपना स्वार्थ को वो निभाया।
काश नेताजी वापस आते,
देश का टुकड़ा न होने देते,
धर्म के नाम पर लड़ाइ न होता,
लोगों को भर पेट खाने को मिलता।
स्वास्थ्य-शिक्षा बेहाल हुआ
बेरोजगारी, महंगाई आसमान छुया
देश के लोग भुका है, नंगा है
ये आजादी झूठी है।
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